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को बनाय रखने के संकल्प धारण करने का दिन भी है। चूँकि जो समाज ऐसा करने से चूक जाते ,वें गुलामी कि और अग्रसर हो जाते हैं। इसी दिन भारतीय विचार ,धर्म -दर्शन ,और जीवन शैली को प्रभावित करने वाले दो नायको ,भगवान् महावीर और महर्षि दयानंद का निर्वाण दिवस भी है।
महर्षि दयानंद ने तात्कालीन रियासतों को भोग लिप्सा छोड़ स्वराज के लिए संघर्ष करने और सामाजिक कुरीतियों , धार्मिक अंधविश्वासों ,और राजनैतिक जड़ता के विरुद्ध संघर्ष और नारी शिक्षा ,सभी को सामान रूप से पढ़ने का अधिकार तथा संस्कार युक्त समाज कि रचना का शंख नाद किया। विस्मृत प्राय वेदों के ज्ञान को उजागर कर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रन्तिकारी फ़ौज गठन के सूत्रधार बने। भाई परमानंद और रस बिहारी बोस राम प्रसाद बिस्मिल तथा सरदार भगत सिंह और गढ़वल के गौरव वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सरीखे हज़ारो क्रन्तिकारी आर्य समाज और महर्षि दयानंद से ही प्रेरित थे।
प्रकाशपर्व औए निर्वाण दिवस पर हम उन पुण्य आत्माओं का श्रद्धा वंदन करते हुए प्रकाशयुक्त ज्ञान मार्ग को निरंतर परिष्कृत करते रहने का भी संकल्प लेते हैं।
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